मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

कोजागर पूर्णिमा व प्रतिमास किये जाने वाले पूर्णिमा (सत्यनारायण)व्रत का निर्णय

इस वर्ष आश्विन पूर्णिमा तिथि की गणितागत स्थिति अनन्य गतिक होने से कुछ पंचांगकारों ने इसे 16 अक्टूबर को एक ही साथ दे दिया है जबकि हमारे श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग में कोजागर पूर्णिमा 16 अक्टूबर को और प्रतिमास होने वाला सत्यनारायण व्रत 17 अक्टूबर को दिया गया है और उसका निर्णय भी यथास्थान पंचांग में दे दिया गया है तथपि वैमत्य जनित भ्रम व संशय निवृति के लिए इसका शास्त्रीय विवेचन निम्न प्रकार है :- 
    (1) कोजागर पूर्णिमा :- का कर्म काल अर्द्ध रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा है तथा यह व्रत वर्ष में एक बार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा के दिन किया जाता है , इसमें साधक एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक पूर्ण उपवास रखता है और दूसरे दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत की पारणा और भोजन करता है । इसमें रात्रि में लक्ष्मी व इन्द्र की पूजा करके व्रत कर्ता पूरी रात्रि जागरण करता है ,इसीलिए इसका नाम कोजागर है । दोनों दिन प्रदोष में व्याप्त न होने पर यह पूर्व दिन महानिशा व्याप्ति में किया जाता है ।इस प्रकार लक्ष्मी-इन्द्र पूजा के लिए शरद -कोजागर पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को है जैसा कि हमने पंचांग में दिया है ।
    (2) प्रतिमास किया जाने वाला पूर्णिमा(सत्यनारायण )व्रत:-यह व्रत प्रत्येक मास की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में किया जाता है यह नक्त व्रत है अर्थात इस व्रत में व्रत कर्ता सूर्योदय से व्रतारम्भ करता है और प्रदोष काल में पूजन के बाद भोजन कर लेता है । नक्त व्रत के नियमानुसार प्रदोष की व्याप्ति व अव्याप्ति की स्थिति में यह दूसरे दिन ही किया जाता है , इस वर्ष 16 व 17 अक्टूबर 2024 को दोनों दिन पूर्णिमा प्रदोष में अव्याप्त है ऐसी स्थिति में "व्रत पर्व विवेक" (पृष्ठ संख्या 72)के अनुसार :- दोनों दिन पूर्णिमा की प्रदोष में अव्याप्ति की स्थिति में भी पूर्णिमा दूसरे दिन गौण प्रदोष काल (सायाह्न)को तो अनिवार्यतः व्याप्त करेगी ही ।जैसा कि इस वर्ष 16अक्टूबर को पूर्णिमा पूर्व दिन प्रदोष में अव्याप्त है और दूसरे दिन 17 अक्टूबर को पूर्णिमा गौण प्रदोष काल में व्याप्त होने से पूर्णिमा सत्यनारायण व्रत के लिए प्रदोष काल में पूर्ण रूप से व्याप्त मानी जायेगी , व्रत पर्व विवेक के पृष्ठ संख्या 165 पर भी सत्यनारायण व्रत स्पष्ट रुप से अंकित है ,ध्यान रहे प्रति मास होने वाले सत्यनारायण व्रत की चर्चा "कालमाधव, निर्णय सिन्धु, धर्म सिन्धु आदि व्रत- पर्व निर्णायक मूल ग्रन्थों में कहीं भी उपलब्घ नहीं है।" ऐसी स्थिति में प्रो0प्रियव्रत व्रत शर्मा जी द्वारा व्रत पर्व विवेक के पृष्ठ संख्या 165 पर दिये गये निर्णय के अनुसार प्रत्येक मास किया जाने वाला पूर्णिमाव्रत 17 अक्टूबर 2024 को किया जाना उचित है ।
                अतः सभी श्रद्धालु किसी भी भ्रम में न पड़कर प्रतिमास किया जाने वाला पूर्णिमा(सत्यनारायण)व्रत 17 अक्टूबर को ही करें यही अन्तिम निर्णय है ।
निवेदक:-ज्यौतिषाचार्य (डाॅ)रमेश चन्द्र जोशी, प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग, उत्तराखंड (भारत)

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