मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024

दीपावली -महालक्ष्मी पूजन 01 नवम्बर 2024 को शास्त्र सम्मत- "पर्व निर्णय की धर्म शास्त्रीय मीमांसा"

             
    आज दीपावली के सम्बन्ध में सविनय निवेदन करना है कि पर्व कब होगा ,इसका निर्णय देने से पूर्व, हमारे विद्वत् जन इस पर बिचार नहीं करते कि पर्व के वैमत्य का मूल कारण क्या है , और जब किसी पर्व में वैमत्य होता है तो चाहे सम्बन्धित व्यक्ति उस विषय के मर्मज्ञ हों या नहीं सोशल मिडिया के माध्यम से अपने-अपने निर्णय देनें लगते हैं जिससे आम जनमानस में बहुत ही भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है ,अब सबसे पहिले हम निर्णय कर्ताओं की क्या योग्यता होनी चाहिए इस पर बिचार करते हैं :- 
                 निर्णय कर्ता विद्वान को ज्योतिष के सभी सिद्धांत पक्षों का -जैसे सूर्य सिद्धांत, ब्रह्म सिद्धांत, दृक् सिद्धांत का पारद्रष्टा विद्वान होना चाहिए ,साथ ही पुराणों , स्मृतियों , गृह्यसूत्रों, निर्णय सिन्धु, व धर्म सिन्धु जैसे ग्रन्थों का अध्येता होना चाहिए मेरी दृष्टि में प्रो0प्रियव्रत शर्मा जी के बाद आज ऐसे विद्वानों की संख्या बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती है , ऐसी स्थिति में प्रो0प्रियव्रत शर्मा जी द्वारा अपने ग्रन्थ "व्रत पर्व विवेक" में दिये गये निर्णय ही हमारे पथ प्रदर्शक हैं ।
                  अब हम मत वैमत्य की बात करते हैं , हमने अपने श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग संवत् 2081 "एक राष्ट्र-एक पर्व रहस्य" विशेषांक के पृष्ठ संख्या -04 पर इसके मुख्यतः 7 कारण बताये हैं । दीपावली प्रकरण में मत बैभन्यता के मुख्यतः दो कारण हैं , पंचांगीय गणनाओं में सिद्धांत भेद तथा ऋषि(आचार्यों)के वाक्यों में एक रूपता का अभाव। 
                काशी के विद्वानों द्वारा अमर उजाला को दिये गये प्रेस नोट में यह कहा गया कि पश्चिम के पंचांग भ्रम फैला रहे हैं , यद्यपि उन्होंने भारत में प्रचलित सभी दृक् पक्षीय पंचांगों को ,पश्चिम के पंचांग कहा है जिनकी संखा लगभग 300 है , लेकिन यदि काशी के पंचांग भारतीय पद्धति के हैं तो उनमें सूर्य ग्रहण, चन्द्रग्रहण, ग्रहों के उदयास्त , दृक् पक्षीय ग्रह स्पष्ट आदि पश्चिमी पद्धति से क्यों दिये गये हैं ?
                    पर्वों के निर्णय देनें वाले काशी के विद्वानों के श्रीचरणों में निवेदन है कि भारतीय पद्धति से परिगणित विश्व पंचांग और हृषीकेश पंचांग में संवत्सर का नाम एक क्यों नहीं है ?तथा एक ही पद्धति से परिगणित एक ही अक्षांश-देशांतर पर काशी के पंचांगों में उदयास्त और तिथ्यादि मानों में एक वाक्यता क्यों नहीं है ?इस पर भी निर्णय देकर हम जैसे अनेकों ज्योतिष के विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन करने की कृपा करें ।
                     धर्म सिन्धु ने सभी मतों की मीमांसा करने के बाद अन्त में पुरुषार्थ चिन्तामणि के मत को निर्णय रुप में निर्देशित किया है यथा:-"पूरवत्रैव व्याप्तिरिति पक्षे परत्रयामत्याधिकव्यापिदर्शे दर्शापेक्षया प्रतिपदि वृद्धिसत्वे लक्ष्मीपूजनादिकमपि परत्रैवेत्युक्तम् " अर्थात् पहिले दिन प्रदोष में व्याप्ति हो और दूसरे दिन तीन प्रहर से अधिक अमावस्या हो (चाहे दूसरे दिन प्रदोष को व्याप्त न कर रही हो )तो पूर्व दिन की दर्श अमावस्या (प्रदोष व्यापिनी और निशीथ व्यापिनी अमावस्या )की अपेक्षा से प्रतिपदा की वृद्धि हो तो लक्ष्मीपूजन आदि भी दूसरे दिन ही करने चाहिए। 
अब इस शास्त्र निर्णय के अनुसार तो काशी के पंचांगों में भी 01नवम्बर को अमावस्या 03प्रहर से अधिक है तथा अन्य दृश्य पक्षीय पंचांगों में तो प्रदोष में व्याप्ति है ही अतः सौर और दृश्य सभी पंचांगों के अनुसार 01नवम्बर को ही दीपावली -लक्ष्मीपूजन शास्त्र सम्मत सिद्ध हुआ ।
इसे और स्पष्ट करते हुए धर्म सिन्धुकार कहते हैं -"एतन्मते उभयत्र प्रदोषव्याप्तिपक्षेपि परत्र दर्शस्य सार्धयामत्रयाधिकव्यापित्वात्परैव युक्तेति भाति "अर्थात्-इस मत में दोनों दिन प्रदोष व्याप्ति के पक्ष में भी दूसरे दिन अमावस्या भले ही प्रदोष में न हो परन्तु अमावस्या साढे तीन प्रहर से अधिक हो तो दूसरे दिन ही लक्ष्मीपूजन युक्त है यह प्रतीत होता है । अर्थात गौण प्रदोष काल में भी दूसरे दिन अमावस्या हो तो दीपावली दूसरे दिन ही शास्त्र सम्मत है । इसीलिए प्रो0प्रियव्रत शर्मा जी ने निर्णय दिया है कि अमावस्या दूसरे दिन प्रदोष काल को 01 मिनट तक भी स्पर्श करे तो पहिले दिन चतुर्दशी युक्ता अमावस्या को छोड़कर दूसरे दिन ही दीपावली मनाई जायेगी ।
               धर्म सिन्धुकार ने स्वाती नक्षत्र के संयोग को भी अति प्रशस्त बताया है जो कि 01 नवम्बर को ही है ।
             अतः सभी पक्षों पर बिचार करने के पश्चात् यह सिद्ध हुआ कि दीपावली (लक्ष्मीपूजन)के लिए 01 नवम्बर शुक्रवार की तिथि ही सर्वोत्तम , सर्वश्रेष्ठ , शास्त्र सम्मत और प्रशस्त है , भारत के 200 से अधिक पंचांगो में एक मत से 01 नवम्बर 2024 को ही दीपावली दी गई है ।
            अतः पूर्ण हर्षोल्लास के साथ 01 नवम्बर 2024 शुक्रवार को दीपावली का पर्व मनायें ।

निवेदक:-डाॅ.रमेश चन्द्र जोशी, ज्यौतिषाचार्य, पुराणेतिहासाचार्य, एम.संस्कृत, प्रधान सम्पादक, श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग, उत्तराखंड (भारत)सम्पर्क-9410167777.

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