मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022

दीपावली व सूर्यग्रहण पर विशेष

समस्त ज्योतिष प्रेमी सज्जनों को श्रीताराप्रसाददिव्यपंचांग परिवार की ओर से दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभकामनायें । 

दीपावली महापर्व के महत्व पूर्ण मुहूर्त ;- 
01-धनतेरस व यमदीपदान:-दिनांक-23-10-2022 -
यमदीप दान:-सायं 05:31 बजे से रात्रि 08:04 बजे तक ।
धनतेरस वृषभ काल पूजा :-सायं 06:54 से रात्रि 08:49 बजे तक ।
02:-छोटी दीपावली निर्णय :-यह पर्व प्रदोष व्यापिनी चतुर्दशी में दिनांक 23 अक्टूबर 2022 को ही मनाना शास्त्रोचित है ।
03-नरक चतुर्दशी अभ्यंग स्नान :-दिनांक 24 अक्तूबर 2022 के प्रातः सूर्योदय से पूर्व रात्रिशेष 04:58 से 06:25 बजे के मध्य (चन्द्रोदय/अरुणोदय व्यापिनी चतुर्दशी)में करना शास्त्र सम्मत है । 
04 -श्रीमहालक्ष्मीपूजा मुहूर्त :-दिनांक 24 अक्तूबर 2022 -
प्रदोषकाल व वृषभकाल पूजा मुहूर्त -सायं 05:30 से रात्रि 08:45 बजे तक । महानिशाकालपूजा मुहूर्त:-रात्रि 09:32 से रात्रि 12:23 बजे तक । सिंहकाल पूजा मुहूर्त -रात्रि 01:20 से 03:39 तक ।


05-सूर्य ग्रहण :-दिनांक 25 अक्तूबर 2022 को सूर्य ग्रहण उत्तराखंड में अपराह्न 04:28 से सूर्यास्त 05:29 तक दिखाई देगा (इसका शुभाशुभ फल श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांगके पृष्ठ संख्या 17 पर देखें ) 
 
ग्रहण के दिन वार्षिक श्राद्ध व एकोदिष्ट क्षयाह श्राद्ध की तिथि पर निर्णय :-
निर्णय सिन्धु ,धर्म सिन्धु कूर्मपुराण ,व्रत पर्व विवेक आदि ग्रन्थों में :-ग्रहण के दिन वार्षिक श्राद्ध की प्राप्ति होने पर उसे अवश्यमेव करने का निर्देश है (देखिए निर्णय सिन्धु प्रथम परिच्छेद पृष्ठ संख्या 94 पंक्ति संख्या 03 ,पृष्ठ संख्या 96 पंक्ति संख्या 10,परिच्छेद 03 पृष्ठ संख्या 720 पंक्ति संख्या 15 ,कूर्मपुराण अध्याय 20 ) 

इस दिन केवल पक्वान्न का निषेध होगा । पिण्डदान आदि भी आमान्न जौ अथवा चावल के आटे से होगा नैवेद्य आदि भी फल व मेवा का ही लगेगा ।

इस दिन होने वाले श्राद्ध को दूसरे दिन किये जाने का निर्णय सिन्धुकार ने स्पष्ट निषेध किया है अतः अमावस्या को होने वाले वार्षिक श्राद्ध व एकोदिष्ट क्षयाह श्राद्ध दिनांक 25 अक्टूबर 2022 को ही नियमानुसार होगा ।

मरणाशौच व जननाशौच के मध्य ग्रहण पड़ने पर भी ग्रहण निमित्त किया जाने वाला स्नान ,दान व श्राद्ध किया जाना चाहिए इसमें जननाशौच व मरणाशौच का दोष नहीं लगता है (धर्म सिन्धु पृष्ठ 48पंक्ति 12)
ग्रहण के समय समस्त जल गंगा जल के समान ,सभी ब्राह्मण भगवान वेदव्यास के समान ,समस्त दान भूमि दान के समान हैं । अतः ग्रहण काल में स्नान ,दान व श्राद्ध अवश्य करने चाहिए (धर्म सिन्धु पृष्ठ संख्या 48 पंक्ति संख्या 20)

ग्रहण के दिन द्वादशाह (पीपलपानी ):- उक्त श्राद्ध के निर्णय से स्पष्ट है कि एकोदिष्ट श्राद्ध के समान ही पीपलपानी के लिए बारहवाॅ दिन निश्चित है (द्वादशाहे सपिण्डनम्-गरुण पुराण )
और सपिण्डीकरण श्राद्ध भी एक प्रकार का श्राद्ध ही है ।अतः जिनकी मृत्यु को 25 अक्तूबर को 12 दिन हो रहे हैं उनका पीपल पानी 25 अक्तूबर को ही होगा और यहाँ भी उक्त श्राद्ध के समान ही सर्वत्र आमान्न का ही प्रयोग होगा ।

ब्रहमभोज :-25 अक्तूबर को सम्पूर्ण दिन सूर्यग्रहण का पर्व काल होने से पक्वान्न का निषेध होने से ,जो सज्जन वार्षिक श्राद्ध या पीपलपानी के निमित्त ब्रहमभोज करना चाहते हैं वे  
26 अक्तूबर को ब्रह्मभोज व अन्यों को भोजन करा सकते हैं ।

लेकिन ध्यान दें :-पीपलपानी व वार्षिक श्राद्ध पहले व दूसरे दिन किसी भी दशा में नहीं होगा ।
(यहाँ धर्म सिन्धु व निर्णय सिन्धु श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर प्रेस मुम्बई के उद्धृत हैं ) 
06-गोवर्धन पूजा :-दिनांक 26 अक्तूबर 2022 
 07-भैयादूज :-दिनांक 27 अक्तूबर 2022 ।
           
    एक बार समस्त देशवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें । श्री गिरिजा माता की अनन्त कृपा ।

निवेदक ;-आचार्य (डॉ)रमेश चन्द्र जोशी, प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग रामनगर( नैनीताल)

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