कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यम द्वितीया या भातृद्वितीया (भैयादूज)के नाम से जाना जाता है । शास्त्रानुसार यह अपराह्न व्यापिनी कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन मनाई जाती है यथा :-
"उर्जे शुक्लद्वितीयायामपराह्नेऽर्चयेद् यमम् :-" (स्कन्दपुराण)
"कार्तिकशुक्लद्वितीया यमद्वितीया, सा पूर्वविद्धा अपराह्न व्यापिनी ग्राह्या ।"( तिथि निर्णय भट्टोजिदीक्षित )
"इयं(द्वितीया)पूर्वेद्युरेवापराह्नव्याप्तौपूर्वा--- (धर्मसिन्धु)
"शास्त्रानुसार भाईदूज अपराह्नव्यापिनी कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन मनानी चाहिए ।(प्रो0प्रियव्रत शर्मा -व्रत पर्व विवेक पृष्ठ संख्या ५७)
उक्त शास्त्रीय प्रमाणों के आलोक में हमने अपने श्रीश्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग मे यम द्वितीया (भैयादूज )का पर्व अपराह्न व्यापिनी द्वितीया दिनांक २६ अक्टूबर को दी है लेकिन भारत सरकार द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय पंचांग में यह पर्व २७ अक्तूबर को अंकित होने से भैयादूज का राजकीय अवकाश भी २७ अक्तूबर को ही घोषित है ।
अतः एक राष्ट्र एक पर्व के सिद्धांत के अनुसार राष्ट्रीय पंचांग का सम्मान करते हुए ,व्रत पर्वों की एकरूपता के दृष्टिकोण से हम भैयादूज के पर्व तिथि को संशोधित करते हुए श्रीश्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग के सुधी पाठकों से इस पर्व को २६ अक्तूबर के स्थान पर २७ अक्तूबर को मनाने का निवेदन करते हैं तथा भविष्य में भी होली आदि पर्वों में मतैक्य न होने पर एकरूपता के दृष्टिकोण से राष्ट्रीय पंचांग के अनुसार मनाये जाने का निवेदन करते हैं ।
"अतः यम द्वितीया (भैयादूज )दिनांक२७अक्तूबर२०२२ को मनायें"
निवेदक:-आचार्य(डॉ)रमेश चन्द्र जोशी प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग रामनगर (नैनीताल )उत्तराखंड ।
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