शनिवार, 22 अक्टूबर 2022

सूर्य ग्रहण पर शंका समाधान

समस्त धर्म प्रेमी सज्जनों को अवगत कराना है कि 25 अक्तूबर 2022 को सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना घटित हो रही है लेकिन कुछ स्वयं भू ज्योतिषाचार्यों एवं एक पंचांगकार महोदय द्वारा ग्रहण का स्पर्श (प्रारम्भ) 25 अक्तूबर 2022 को अपराह्न 02:28 बजे दिखाकर ग्रहण के प्रारम्भ और सूतक के समय को लेकर समाज में बड़े भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है कुछ विद्वान पूर्व रात्रि 02:28 से तो कुछ रात्रि 11:00 बजे से ही सूतक बता रहे हैं जिससे ज्योतिष व धार्मिक जगत की बड़ी बदनामी हो रही है , जब इनसे निवेदन किया कि लिखने पड़ने में त्रुटि हो जाती है कोई अनहोनी नहीं इसका एक संशोधन जारी कर दो लेकिन इन्होंने मौन धारण कर लिया । इसका पूर्ण विवेचन निम्न प्रकार है :- 

किस बात का है भ्रम :- 
 जो भी पंचांगकार और ज्योतिषी ग्रहण का प्रारम्भ समय अपराह्न 02:28 बता रहे हैं यह समय उन्होंने कहीं से नकल करके लिखा है वस्तुतः यह समय सूर्य के क्रान्ति मालिन्य का है सूर्य ग्रहण के स्पर्श का नहीं । अतः स्पष्ट है कि सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण प्रारंभ के समय से 12 घण्टे पूर्व से लगता है न कि क्रांति मालिन्य से । अतः सूर्य ग्रहण का सूतक पूर्व रात्रि 11:00 बजे या 02:28 से लगने का प्रश्न ही नहीं है :- 

कब लगेगा सूर्य ग्रहण :- 
भारत वर्ष में कहीं भी सूर्य ग्रहण अपराह्न 02:28 बजे से प्रारम्भ नहीं होगा यह हम उपर्युक्त विवरण में स्पष्ट कर चुके हैं 

सम्पूर्ण देश में यह ग्रहण सर्व प्रथम श्रीनगर (कश्मीर) में अपराह्न 04:14 बजे दिखाई देगा(प्रारम्भ होगा) इससे पूर्व ग्रहण कहीं भी नहीं दिखाई देगा ।

कुछ मुख्य शहरों में ग्रहण के प्रारम्भ का समय (स्पर्श काल)
दिल्ली -अपराह्न 04:29 , लखनऊ -04:32, मुम्बई- 04:49 , हैदराबाद -04:59 , काशी -04:42 , मथुरा -
04 :32 ,अहमदाबाद 04:38 हरिद्वार 04:27 कुरुक्षेत्र 04:26 ,बद्रीनाथ 04:26 बजे (अपराह्न प्रारम्भ होगा) इन सभी स्थानों में ग्रहण का सूतक इस अंकित समय से 12 घण्टे पूर्व प्रारम्भ होगा जैसे दिल्ली में ग्रहण का सूतक 25 अक्तूबर 2022 को प्रातः 04:29 बजे प्रारम्भ हो जायेगा इसी प्रकार सभी स्थानों में समझें । इन सभी स्थानों में सूर्यास्त के साथ ही ग्रहण समाप्त हो जायेगा और ग्रहण का सूतक भी समाप्त हो जायेगा ।

उत्तराखंड में कब प्रारम्भ होगा ग्रहण व सूतक :- 
कुमाऊँ क्षेत्र में यह ग्रहण अपराह्न 04:28 तथा गढवाल में 04:25 बजे से प्रारम्भ होगा तथा इसका सूतक भी इससे 12 घण्टे पूर्व प्रारम्भ होगा ,जैसे -कुमाऊँ में सूतक प्रातः 04:28 बजे तथा गढवाल में प्रातः 04:25 बजे सूतक प्रारम्भ होगा ।
कब तक रहेगा सूतक :-
देश के लगभग सभी स्थानों पर सूर्यास्त के साथ (ग्रस्तास्त )ही सूर्यग्रहण व ग्रहण का सूतक समाप्त हो जायेगा ।

देश में कहाँ -कहाँ नहीं दिखाई देगा सूर्य ग्रहण :- 
अगरतला,एजावल,चेरापूंजी ,डिब्रूगढ़, गुवाहाटी, इम्फाल ,जोराहाट,कोहिमा , पोर्टब्लेयर,शिलांग ,आदि कुछ स्थानों पर सूर्यग्रहण प्रारम्भ होने से पूर्व ही सूर्यास्त हो जायेगा अथवा ग्रहण का स्पर्श तो होगा लेकिन अंगुलाल्प होने से वहां ग्रहण नहीं माना जायेगा जैसे :- इम्फाल में सूर्य ग्रहण का प्रारम्भ अपराह्न 04:28 बजे होगा और यहाँ सूर्यास्त 04:39 बजे हो जायेगा यहाँ ग्रहण का ग्रसमान 0.0321 (अंगुलाल्प)होने से यह सामान्य आंखो से नहीं दिखाई देगा लेकिन यह स्थिति दूरबीन व वेध यंत्रों से देखी जा सकती है ।
इन सभी स्थानों पर न तो ग्रहण का सूतक लगेगा और इसका कोई धार्मिक महत्व भी नहीं होगा ।

                 "ग्रहण का वेध काल "
सूर्य ग्रहण प्रारंभ होने से 12 घण्टे पूर्व ग्रहण का वेध काल प्रारम्भ हो जाता है यहीं से ग्रहण का सूतक प्रारम्भ हो जाता है :-
 ग्रहण का सूतक प्रारम्भ होने पर खाना -पीना ,देव मूर्तियों का स्पर्श निषिद्ध है । लेकिन बालक ,बृद्ध व रोगियों के लिए भोजन का निषेध नहीं है ,जल तो सभी पी सकते हैं । ग्रहण का सूतक प्रारम्भ होने से पहले प्रातःकाल ही स्नान कर देवपूजा के कार्य सम्पन्न कर लें । 
                  " ग्रहण का पर्व काल "
ग्रहण प्रारंभ होने से ग्रहण के मोक्ष तक अर्थात् ग्रहण के पर्व काल में सोना ,खाना ,पीना ,तेल लगाना ,मैथुन व मल -मूत्र का त्याग निषिद्ध है । 

           "किसके लिए है ग्रहण प्रतिकूल "
मेष, सिंह, कन्या, बृश्चिक, कुम्भ,मीन राशि के लिए ग्रहण प्रतिकूल है अतः इन राशियों के जातक तथा गर्भवती महिलायें ग्रहण न देखें ।

                    ग्रहण सूतक प्रारम्भ होने से पहले 
दूध ,दही,घी,तेल,छाछ,मक्खन,पनीर,अचार,चटनी,
मिष्ठान्न, फल,जल ,में तिल या कुशा रख देने से ये दूषित नहीं होते । सूखे पदार्थों- गेहूॅ ,चना ,चावल,दाल,आटा मेवा आदि दूषित नहीं होते इनमें तिल और कुशा डालने की आवश्यकता नहीं है ।
पका हुआ भोजन , कटी हुई सब्जी ,कटे हुए फल ये ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं इनका उपयोग न करें ।
      
               "ग्रहण काल में अत्यन्त पुण्य दायक "
स्नान -दान ,तर्पण,श्राद्ध ,जप ,हवन ,मंत्र दीक्षा ,मंत्र सिद्धि ,भगवान्नाम संकीर्तन सद्यःसिद्धि दायक माने गये हैं 
सूर्य ग्रहण में -कुरुक्षेत्र में स्नान का बहुत महात्म्य है । श्रीगंगा जी आदि में स्नान अभाव में घर पर ही स्नान करना पुण्यदायक है । ग्रहण काल में प्रत्येक ब्राह्मण को भगवान वेदव्यास के तुल्य माना गया है इसलिए अधिक से अधिक वस्त्र अन्न द्रव्य का दान विप्र जनों को करना चाहिए ।
श्राद्ध में -पक्कवान्न का सर्वथा निषेध रहेगा । 
पितृ दोष निवारण के लिए -ग्रहण काल में श्राद्ध कर वस्त्राभूषण शय्या आदि का पितरों के लिए दान करें ।
 इस दिन होने वाले एकदशाह व द्वादशाह आदि सभी कार्य आमान्न से ही होंगे ।
        
               "क्या -क्या कार्य नहीं हो सकते "
ग्रहण के दिन और ग्रहण के दूसरे दिन नामकरण आदि शुभ संस्कार नहीं होंगे ।
       यह मेरा मौलिक लेख है अतः इस सूचना को बिना किसी काट-छाॅट के आप अधिक से अधिक लोगों शेयर करें । 
       "श्रीगिरिजामाता की विशेष कृपा "
प्रस्तुति:- आचार्य (डाॅ) रमेश चन्द्र जोशी ,ज्योतिषाचार्य ,पुराणेतिहासाचार्य,एम.ए. (संस्कृत)
पी.एचडी (ज्योतिष) ज्योतिषालंकार आदि सम्मानों से सम्मानित एवं पंचांगकार । ज्योतिष भवन चित्रकूट 'रामनगर (नैनीताल ) सम्पर्क :-9410167777 .

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022

दीपावली व सूर्यग्रहण पर विशेष

समस्त ज्योतिष प्रेमी सज्जनों को श्रीताराप्रसाददिव्यपंचांग परिवार की ओर से दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभकामनायें । 

दीपावली महापर्व के महत्व पूर्ण मुहूर्त ;- 
01-धनतेरस व यमदीपदान:-दिनांक-23-10-2022 -
यमदीप दान:-सायं 05:31 बजे से रात्रि 08:04 बजे तक ।
धनतेरस वृषभ काल पूजा :-सायं 06:54 से रात्रि 08:49 बजे तक ।
02:-छोटी दीपावली निर्णय :-यह पर्व प्रदोष व्यापिनी चतुर्दशी में दिनांक 23 अक्टूबर 2022 को ही मनाना शास्त्रोचित है ।
03-नरक चतुर्दशी अभ्यंग स्नान :-दिनांक 24 अक्तूबर 2022 के प्रातः सूर्योदय से पूर्व रात्रिशेष 04:58 से 06:25 बजे के मध्य (चन्द्रोदय/अरुणोदय व्यापिनी चतुर्दशी)में करना शास्त्र सम्मत है । 
04 -श्रीमहालक्ष्मीपूजा मुहूर्त :-दिनांक 24 अक्तूबर 2022 -
प्रदोषकाल व वृषभकाल पूजा मुहूर्त -सायं 05:30 से रात्रि 08:45 बजे तक । महानिशाकालपूजा मुहूर्त:-रात्रि 09:32 से रात्रि 12:23 बजे तक । सिंहकाल पूजा मुहूर्त -रात्रि 01:20 से 03:39 तक ।


05-सूर्य ग्रहण :-दिनांक 25 अक्तूबर 2022 को सूर्य ग्रहण उत्तराखंड में अपराह्न 04:28 से सूर्यास्त 05:29 तक दिखाई देगा (इसका शुभाशुभ फल श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांगके पृष्ठ संख्या 17 पर देखें ) 
 
ग्रहण के दिन वार्षिक श्राद्ध व एकोदिष्ट क्षयाह श्राद्ध की तिथि पर निर्णय :-
निर्णय सिन्धु ,धर्म सिन्धु कूर्मपुराण ,व्रत पर्व विवेक आदि ग्रन्थों में :-ग्रहण के दिन वार्षिक श्राद्ध की प्राप्ति होने पर उसे अवश्यमेव करने का निर्देश है (देखिए निर्णय सिन्धु प्रथम परिच्छेद पृष्ठ संख्या 94 पंक्ति संख्या 03 ,पृष्ठ संख्या 96 पंक्ति संख्या 10,परिच्छेद 03 पृष्ठ संख्या 720 पंक्ति संख्या 15 ,कूर्मपुराण अध्याय 20 ) 

इस दिन केवल पक्वान्न का निषेध होगा । पिण्डदान आदि भी आमान्न जौ अथवा चावल के आटे से होगा नैवेद्य आदि भी फल व मेवा का ही लगेगा ।

इस दिन होने वाले श्राद्ध को दूसरे दिन किये जाने का निर्णय सिन्धुकार ने स्पष्ट निषेध किया है अतः अमावस्या को होने वाले वार्षिक श्राद्ध व एकोदिष्ट क्षयाह श्राद्ध दिनांक 25 अक्टूबर 2022 को ही नियमानुसार होगा ।

मरणाशौच व जननाशौच के मध्य ग्रहण पड़ने पर भी ग्रहण निमित्त किया जाने वाला स्नान ,दान व श्राद्ध किया जाना चाहिए इसमें जननाशौच व मरणाशौच का दोष नहीं लगता है (धर्म सिन्धु पृष्ठ 48पंक्ति 12)
ग्रहण के समय समस्त जल गंगा जल के समान ,सभी ब्राह्मण भगवान वेदव्यास के समान ,समस्त दान भूमि दान के समान हैं । अतः ग्रहण काल में स्नान ,दान व श्राद्ध अवश्य करने चाहिए (धर्म सिन्धु पृष्ठ संख्या 48 पंक्ति संख्या 20)

ग्रहण के दिन द्वादशाह (पीपलपानी ):- उक्त श्राद्ध के निर्णय से स्पष्ट है कि एकोदिष्ट श्राद्ध के समान ही पीपलपानी के लिए बारहवाॅ दिन निश्चित है (द्वादशाहे सपिण्डनम्-गरुण पुराण )
और सपिण्डीकरण श्राद्ध भी एक प्रकार का श्राद्ध ही है ।अतः जिनकी मृत्यु को 25 अक्तूबर को 12 दिन हो रहे हैं उनका पीपल पानी 25 अक्तूबर को ही होगा और यहाँ भी उक्त श्राद्ध के समान ही सर्वत्र आमान्न का ही प्रयोग होगा ।

ब्रहमभोज :-25 अक्तूबर को सम्पूर्ण दिन सूर्यग्रहण का पर्व काल होने से पक्वान्न का निषेध होने से ,जो सज्जन वार्षिक श्राद्ध या पीपलपानी के निमित्त ब्रहमभोज करना चाहते हैं वे  
26 अक्तूबर को ब्रह्मभोज व अन्यों को भोजन करा सकते हैं ।

लेकिन ध्यान दें :-पीपलपानी व वार्षिक श्राद्ध पहले व दूसरे दिन किसी भी दशा में नहीं होगा ।
(यहाँ धर्म सिन्धु व निर्णय सिन्धु श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर प्रेस मुम्बई के उद्धृत हैं ) 
06-गोवर्धन पूजा :-दिनांक 26 अक्तूबर 2022 
 07-भैयादूज :-दिनांक 27 अक्तूबर 2022 ।
           
    एक बार समस्त देशवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें । श्री गिरिजा माता की अनन्त कृपा ।

निवेदक ;-आचार्य (डॉ)रमेश चन्द्र जोशी, प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग रामनगर( नैनीताल)

बुधवार, 5 अक्टूबर 2022

यम द्वितीया (भैया दूज) निर्णय

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यम द्वितीया या भातृद्वितीया (भैयादूज)के नाम से जाना जाता है । शास्त्रानुसार यह अपराह्न व्यापिनी कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन मनाई जाती है यथा :-
"उर्जे शुक्लद्वितीयायामपराह्नेऽर्चयेद् यमम् :-" (स्कन्दपुराण)
"कार्तिकशुक्लद्वितीया यमद्वितीया, सा पूर्वविद्धा अपराह्न व्यापिनी ग्राह्या ।"( तिथि निर्णय भट्टोजिदीक्षित )
"इयं(द्वितीया)पूर्वेद्युरेवापराह्नव्याप्तौपूर्वा--- (धर्मसिन्धु)
"शास्त्रानुसार भाईदूज अपराह्नव्यापिनी कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन मनानी चाहिए ।(प्रो0प्रियव्रत शर्मा -व्रत पर्व विवेक पृष्ठ संख्या ५७)
         उक्त शास्त्रीय प्रमाणों के आलोक में हमने अपने श्रीश्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग मे यम द्वितीया (भैयादूज )का पर्व अपराह्न व्यापिनी द्वितीया दिनांक २६ अक्टूबर  को दी है लेकिन भारत सरकार द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय पंचांग में यह पर्व २७ अक्तूबर को अंकित होने से भैयादूज का राजकीय अवकाश भी २७ अक्तूबर को ही घोषित है ।
अतः एक राष्ट्र एक पर्व के सिद्धांत के अनुसार राष्ट्रीय पंचांग का सम्मान करते हुए ,व्रत पर्वों की एकरूपता के दृष्टिकोण से हम भैयादूज के पर्व तिथि को संशोधित करते हुए श्रीश्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग के सुधी पाठकों से इस पर्व को २६ अक्तूबर के स्थान पर २७ अक्तूबर को मनाने का निवेदन करते हैं  तथा भविष्य में भी होली आदि पर्वों में मतैक्य न होने पर एकरूपता के दृष्टिकोण से राष्ट्रीय पंचांग के अनुसार मनाये जाने का निवेदन करते हैं ।
"अतः यम द्वितीया (भैयादूज )दिनांक२७अक्तूबर२०२२ को मनायें"
निवेदक:-आचार्य(डॉ)रमेश चन्द्र जोशी प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग रामनगर (नैनीताल )उत्तराखंड ।