गुरुवार, 1 जुलाई 2021

श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग आगामी वर्ष की एक झलक

श्रीगिरिजा माता की अहैतुकी अनुकम्पा से आगामी संवत् 2079 शाके 1944 सन् 2022-23 के श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग को "तिथि-व्रत-पर्व निर्णय "विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है । 
                  मैंने अपने जीवन में तिथि -पर्व-व्रतों में मतान्तर होने पर धर्म प्रेमी सज्जनों को उससे होने वाली कठिनाइयों को अति निकट से देखा है ,साथ ही मतान्तर होने पर विद्वानों के वाद -प्रतिवाद पर भी बहुत मन्थन व चिन्तन करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि पंचांगो के प्रकाशन से पूर्व ही सभी प्रकार के पर्वों में एक रूपता स्थापित हो जाय और धर्म प्रेमी सज्जनों को कोई असुविधा न हो । इसके लिए अथक प्रयास करने पर उत्तराखंड के पंचागकारों से किसी भी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिल पाया ।
              तिथि-व्रत-पर्वों का निर्धारण वशिष्ठ,नारद,कश्यप आदि महर्षियों द्वारा स्कन्द,विष्णु,कूर्म,पद्म आदि पुराणों में वर्णित अनेकानेक निर्णयों पर आधारित है जिसे कालमधव,निर्णय सिन्धु ,धर्म सिन्धु,पुरुषार्थ चिन्तामणि,तिथि निर्णय,वर्ष कृत्यदीपक,व्रत परिचय आदि निबन्ध ग्रन्थों के रचयिता मीमांसकों ने संकलित करने का गुरूत्तम प्रयास किया है लेकिन इन ग्रन्थों में भी एक ही पर्व पर कई निर्णय दिये हैं जिससे दुविधा का पूर्ण निराकरण नहीं हो पाता है यही कारण है कि अनेक पंचांगो में भी पर्वों में अन्तर रहता है ।
                        मैंने प्राचीन निबन्ध ग्रन्थों से लेकर इस परम्परा में नवीनतम रचना व्रत पर्व विवेक तक गम्भीर परिशीलन कर सभी मतान्तरों को यथा शक्ति निरस्त करने का प्रयास किया है । एतदर्थ मैंने संवत्सर अपैट ,विषुवत् संक्रांति अपैट ,विषुवत् संक्रांति वामपाद, एकोदिष्ट -पार्वण श्राद्ध तिथि निर्णय,संक्रांति पुण्य काल निर्धारण एवं सम्पूर्ण वर्ष भर के सभी पर्वों निर्णयों के लिए तर्क,समन्वय,बहुमत व उत्तराखण्ड के पूर्वाचार्यों के मतों का आश्रय लिया है ।
                   तिथि-व्रत-पर्वों के उलझे विवादास्पद मूल तत्वों को अनेक मत मतान्तरों के खण्डन-मण्डन के विस्तृत प्रपञ्च से बाहर निकाल कर मैंने अत्यन्त सरल बालबोध शैली में बहुत ही संक्षेप में पाठकों के समक्ष रखने का प्रयास किया है । मुझे विश्वास है कि इन्हें आद्योपांत पढ़ लेने पर सामान्य व्यक्ति भी तिथि-व्रत-पर्वादि के निर्णय लेने में सक्षम हो जायेंगे और तिथि-पर्वों में एकरूपता आयेगी ।
                       उपर्युक्त तथ्यों से आप समझ ही गये होंगे कि यह विशेषांक जन -जन के लिए अत्यंत ही उपयोगी एवं संग्रहणीय है । हम सभी पूज्य आचार्यों,पुरोहित वर्ग और ज्योतिष प्रेमी यजमानों से अनुरोध करते हैं कि संवत् 2078 की भाॅति आगामी संवत् 2079 के इस विशेषांक को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमसे कम से कम 10 प्रतियाँ डाक द्वारा मंगाकर वितरित करने का संकल्प लेकर ज्योतिष की इस महाक्रान्ति में सहभागी बनें । 
                पंचांग अभी प्रकाशन की प्रक्रिया में है पंचांग प्रकाशित हो जाने पर पंचांग के विमोचन व उपलब्धता की सूचना आपको पृथक से प्रदान की जायेगी ।
        विशेष भगवत्कृपा । श्रीकृष्णस्मृति । 
           "श्रीगिरिजा माता की जय "
निवेदक:-आचार्य (डॉ)रमेश चन्द्र जोशी,प्रधान सम्पादक, श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग ,ज्योतिष भवन-चित्रकूट-रामनगर-नैनीताल-उत्तराखण्ड ।
सम्पर्क:-9410167777

8 टिप्‍पणियां:

  1. श्री तारा प्रसाद दिव्य पंचांग के प्रकाशन हेतु मैं अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं।

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  2. यह अत्यंत महत्वपूर्ण व लाभदायक विशेषांक होगा। हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. आपका यह प्रयास सनातन धर्म प्रेमियों एवंं ज्योतिष के क्षेत्र मे मील का पत्थर साबित होगा, जिससे अनेको लोगो को भ्रम से राहत प्राप्त होगी ।हार्दिक शुभकामनाऐ ।

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  4. सादर प्रणाम आपके माध्यम से आज जन मानस को ज्योतिष पंचाग से अनेकानेक सुविधाएं उपलब्ध हो रही है आपका कोटि कोटि धन्यवाद

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  5. आपके द्वारा बहुत ही सराहनीय कार्य। आप बधाई के पात्र हैं। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं और रहेंगी।

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  6. कुमाँऊ मण्डल से प्रकाशित होने वाले जितने भी पञ्चाङ्ग उन सब में श्रेष्ठ है आपका ये पञ्चाङ्ग।

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