सूर्य ग्रहण पर विशेष:-
श्रीतारा प्रसाद दिव्य पंचांग के माध्यम से हमनें सूर्य ग्रहण दिनांक 21 जून 2020 के सम्बन्ध में जानकारी सितम्बर 2019 में ही दे दी थी पुनः इस सम्बन्ध में कुछ विशेष तथ्य निम्न प्रकार हैं:-
समय:-हमारे पंचांग केन्द्र श्रीगिरिजा माता मन्दिर रामनगर( नैनीताल ) में यह ग्रहण प्रातः 10:25 बजे प्रारम्भ होगा तथा मोक्ष अपराह्न 1:53(13:53) बजे होगा सम्पूर्ण उत्तराखंड में इसका समय 2 -3 मिनटों के अन्तराल से लगभग यही रहेगा ।
ग्रहण का सूतक :-ग्रहण का सूतक ग्रहण प्रारम्भ होने से 12 घण्टे पूर्व से प्रारम्भ होकर ग्रहण समाप्ति तक रहेगा । उत्तराखंड में यह पूर्व दिन रात्रि 10:25(22:25) बजे से प्रारम्भ हो जायेगा।
कुछ विशेष योग:- रविवार के दिन पड़ने से चूड़ामणि ग्रहण कहा जाता है । कुछ समय के लिए यह कंकण आकृति में दिखाई देगा इसलिए इसे कंकणाकृति ग्रहण भी कहेंगे दूसरी ओर यह ग्रहण व्यतीपात महापात से व्याप्त होने के कारण जप-पाठ-स्नान-दान-मंत्र दीक्षा के लिए सिद्धि कारक अक्षय फलदायी एक दुर्लभ संयोग है आप इस महा योग में अधिकाधिक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करें ।
निषेध:- सूतक काल एवं ग्रहण काल में बाल ,वृद्ध व रोगियों को छोड़कर भोजन का निषेध है । ग्रहण काल में शयन,भोजन शौच का पूर्ण निषेध है ।
सावधानी:-जल,दूध , दही आदि में पवित्रता के दृष्टि कोण से कुशा या तुलसी दल डाल दें ।
कैसे करें दिन का प्रारम्भ:-21 जून को आपका जागरण ग्रहण के सूतक काल में होगा प्रातःकाल दैनिक क्रिया ,स्नानानादि से निवृत होकर धूप -दीप प्रज्वलित कर योग,मंत्र जाप,पाठादि साधना प्रारम्भ कीजिए ,ध्यान रहे मूर्तियों का स्पर्श न करें । देवार्चन ,पूजनादि ग्रहण समाप्ति होने पर स्नान के बाद ही होगा ।
द्वादश राशियों पर ग्रहण का प्रभाव:-
यह ग्रहण मृगशिरा एवं आद्रा नक्षत्र अर्थात् मिथुन राशि में है ,मिथुन राशि के लिए यह विशेष प्रतिकूल है । वृष,मिथुन,कन्या,तुला,धनु व मीन राशि के लिए ग्रहण का फल प्रतिकूल है अन्य के लिए सामान्यतया ठीक है । जिनके लिए ग्रहण का फल प्रतिकूल है वे तथा गर्भवती देवियाँ ग्रहण न देखें । प्रतिकूल फल निवृत्ति के लिए जप ,पाठ,व लाल ,नीली,काली वस्तुओं का दान तथा ग्रहण काल में भगवान का स्मरण करें ।
भूमण्डल पर ग्रहण का प्रभाव:-
किसानों को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा,ग्रहण के समय मिथुन राशि में सूर्य-चन्द्र-बुध-राहु का चतुग्रही योग एवं मकर के नीचस्थ वक्री गुरु का वक्री शनि के साथ सम्बन्ध प्रतिष्ठित शासकों,सैन्य अधिकारियों तथा देश व विश्व के लिए बहुत भयावह है । अफगानिस्तान,चीन, जापान,पाकिस्तान व इण्डोनेशिया के कुछ भागों में जल प्रलय, तूफान ,भूकम्प रोगों आदि से जन -धन हानि की सम्भावनायें हैं । अनेक देशों में तनाव व युद्ध की स्थिति रह सकती है ।
अमावस्या श्राद्ध निर्णय:-यहाँ अमावस्या तिथि 21 जून की अपेक्षा 20 जून को मध्यान्ह काल को अधिक व्याप्त कर रही है इसलिए अमावस्या तिथि जन्य वार्षिक क्षयाह एकोदिष्ट श्राद्ध 20 जून को किया जाना शास्त्र सम्मत है ।
विशेष निवेदन:-इस दिन विश्व कल्याण एवं आत्म कल्याण के लिए अधिक से अधिक भगवान नाम मंत्र का जाप करें । इस विवरण को समस्त सनातनियों को अधिक से अधिक मात्रा में शेयर करें ।
निवेदक:-आचार्य (डॉ .) रमेश चन्द्र जोशी
प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग रामनगर नैनीताल (उत्तराखंड)
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