शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024

शुभ दीपावली मुहूर्त संवत् 2081, सन् 2024

समस्त सनातन धर्म प्रेमियों को दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभकामनायें , इस वर्ष दीपावली पर्व के मुहूर्त निम्न प्रकार हैं:- 
1-धनतेरस-पूजा व यमदीप दान मुहूर्त-प्रदोष काल एवं वृषभकाल -दिनांक-29 अक्टूबर, 2024 समय-17:30 से 20:25 तक ।
2-छोटी दीपावली- नरक चतुर्दशी - दिनांक 31-अक्टूबर 2024 अभ्यंग-स्नान-सूर्योदय से पूर्व 05:13 से 06:26 के मध्य (प्रत्येक दशा में सूर्योदय से पूर्व) चन्द्रोदय 05:13 ।
03-श्रीमहालक्ष्मीपूजा मुहूर्त:-दिनांक 01 नवम्बर 2024 -चौघड़िया मुहूर्त-07:53 से 9:15(लाभ)09:15से 10:38(अमृत)12:00 से 13:22(शुभ)16:07से 17:23(चर)20:40 से 22:17(लाभ)23:54से 25:32(शुभ)25:32 से 27:10(अमृत)27:10 से 28:47(चर)अन्य मुख्य विशेष मुहूर्त:- प्रदोष काल मुख्य पूजा मुहूर्त-17:23 से 20:01 तक, वृषभकाल पूजा मुहूर्त:-18:19 से 20:14 तक, महानिशाकाल पूजा मुहूर्त 23:24 से 24:23 तक , सिंहकाल पूजा मुहूर्त 24:49 से 27:08 तक 
कृपया समय के लिए ध्यान दें:- उक्त दिये गये समय में अपने शहर का सूर्योदय हमारे पंचांग से जितने मिनट अधिक हो उतना जोड़ दें और कम हो तो घटा दें आपके शहर के मुहूर्त का ठीक समय ज्ञात हो जायेगा ।
           उक्त दिये गये समय में रात्रि 12 बजे को 24 अंकित करके आगामी समय को 24 में जोड़कर लिखा गया है 27:08 का तात्पर्य सूर्योदय पूर्व (रात्रिशेष 03 बजकर 08 मिनट से है ।
यहाॅ दिये गये दिन के चौघड़िया मुहूर्त व्यापारिक प्रतिष्ठानों आदि में पूजा -हवन आदि के लिए प्रशस्त हैं ।
01 नवम्बर 2024 को अमावस्या दर्श होने से (अर्थात इस दिन चन्द्रोदय बिल्कुल भी नहीं होने से )यह महालक्ष्मी पूजन के लिए अति प्रशस्त है । 
04-गोवर्धन पूजा-02 नवम्बर 
05-यम द्वितीया -03 नवम्बर को है 
पुनः सभी धर्म प्रेमी सज्जनों को दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभ कामनायें ।

निवेदक:-ज्यौतिषाचार्य (डाॅ.)रमेश चन्द्र जोशी, प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग, उत्तराखंड (भारत)
सम्पर्क:-9410167777

मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

कोजागर पूर्णिमा व प्रतिमास किये जाने वाले पूर्णिमा (सत्यनारायण)व्रत का निर्णय

इस वर्ष आश्विन पूर्णिमा तिथि की गणितागत स्थिति अनन्य गतिक होने से कुछ पंचांगकारों ने इसे 16 अक्टूबर को एक ही साथ दे दिया है जबकि हमारे श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग में कोजागर पूर्णिमा 16 अक्टूबर को और प्रतिमास होने वाला सत्यनारायण व्रत 17 अक्टूबर को दिया गया है और उसका निर्णय भी यथास्थान पंचांग में दे दिया गया है तथपि वैमत्य जनित भ्रम व संशय निवृति के लिए इसका शास्त्रीय विवेचन निम्न प्रकार है :- 
    (1) कोजागर पूर्णिमा :- का कर्म काल अर्द्ध रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा है तथा यह व्रत वर्ष में एक बार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा के दिन किया जाता है , इसमें साधक एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक पूर्ण उपवास रखता है और दूसरे दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत की पारणा और भोजन करता है । इसमें रात्रि में लक्ष्मी व इन्द्र की पूजा करके व्रत कर्ता पूरी रात्रि जागरण करता है ,इसीलिए इसका नाम कोजागर है । दोनों दिन प्रदोष में व्याप्त न होने पर यह पूर्व दिन महानिशा व्याप्ति में किया जाता है ।इस प्रकार लक्ष्मी-इन्द्र पूजा के लिए शरद -कोजागर पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को है जैसा कि हमने पंचांग में दिया है ।
    (2) प्रतिमास किया जाने वाला पूर्णिमा(सत्यनारायण )व्रत:-यह व्रत प्रत्येक मास की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में किया जाता है यह नक्त व्रत है अर्थात इस व्रत में व्रत कर्ता सूर्योदय से व्रतारम्भ करता है और प्रदोष काल में पूजन के बाद भोजन कर लेता है । नक्त व्रत के नियमानुसार प्रदोष की व्याप्ति व अव्याप्ति की स्थिति में यह दूसरे दिन ही किया जाता है , इस वर्ष 16 व 17 अक्टूबर 2024 को दोनों दिन पूर्णिमा प्रदोष में अव्याप्त है ऐसी स्थिति में "व्रत पर्व विवेक" (पृष्ठ संख्या 72)के अनुसार :- दोनों दिन पूर्णिमा की प्रदोष में अव्याप्ति की स्थिति में भी पूर्णिमा दूसरे दिन गौण प्रदोष काल (सायाह्न)को तो अनिवार्यतः व्याप्त करेगी ही ।जैसा कि इस वर्ष 16अक्टूबर को पूर्णिमा पूर्व दिन प्रदोष में अव्याप्त है और दूसरे दिन 17 अक्टूबर को पूर्णिमा गौण प्रदोष काल में व्याप्त होने से पूर्णिमा सत्यनारायण व्रत के लिए प्रदोष काल में पूर्ण रूप से व्याप्त मानी जायेगी , व्रत पर्व विवेक के पृष्ठ संख्या 165 पर भी सत्यनारायण व्रत स्पष्ट रुप से अंकित है ,ध्यान रहे प्रति मास होने वाले सत्यनारायण व्रत की चर्चा "कालमाधव, निर्णय सिन्धु, धर्म सिन्धु आदि व्रत- पर्व निर्णायक मूल ग्रन्थों में कहीं भी उपलब्घ नहीं है।" ऐसी स्थिति में प्रो0प्रियव्रत व्रत शर्मा जी द्वारा व्रत पर्व विवेक के पृष्ठ संख्या 165 पर दिये गये निर्णय के अनुसार प्रत्येक मास किया जाने वाला पूर्णिमाव्रत 17 अक्टूबर 2024 को किया जाना उचित है ।
                अतः सभी श्रद्धालु किसी भी भ्रम में न पड़कर प्रतिमास किया जाने वाला पूर्णिमा(सत्यनारायण)व्रत 17 अक्टूबर को ही करें यही अन्तिम निर्णय है ।
निवेदक:-ज्यौतिषाचार्य (डाॅ)रमेश चन्द्र जोशी, प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग, उत्तराखंड (भारत)

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024

दीपावली -महालक्ष्मी पूजन 01 नवम्बर 2024 को शास्त्र सम्मत- "पर्व निर्णय की धर्म शास्त्रीय मीमांसा"

             
    आज दीपावली के सम्बन्ध में सविनय निवेदन करना है कि पर्व कब होगा ,इसका निर्णय देने से पूर्व, हमारे विद्वत् जन इस पर बिचार नहीं करते कि पर्व के वैमत्य का मूल कारण क्या है , और जब किसी पर्व में वैमत्य होता है तो चाहे सम्बन्धित व्यक्ति उस विषय के मर्मज्ञ हों या नहीं सोशल मिडिया के माध्यम से अपने-अपने निर्णय देनें लगते हैं जिससे आम जनमानस में बहुत ही भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है ,अब सबसे पहिले हम निर्णय कर्ताओं की क्या योग्यता होनी चाहिए इस पर बिचार करते हैं :- 
                 निर्णय कर्ता विद्वान को ज्योतिष के सभी सिद्धांत पक्षों का -जैसे सूर्य सिद्धांत, ब्रह्म सिद्धांत, दृक् सिद्धांत का पारद्रष्टा विद्वान होना चाहिए ,साथ ही पुराणों , स्मृतियों , गृह्यसूत्रों, निर्णय सिन्धु, व धर्म सिन्धु जैसे ग्रन्थों का अध्येता होना चाहिए मेरी दृष्टि में प्रो0प्रियव्रत शर्मा जी के बाद आज ऐसे विद्वानों की संख्या बहुत ही कम दृष्टिगोचर होती है , ऐसी स्थिति में प्रो0प्रियव्रत शर्मा जी द्वारा अपने ग्रन्थ "व्रत पर्व विवेक" में दिये गये निर्णय ही हमारे पथ प्रदर्शक हैं ।
                  अब हम मत वैमत्य की बात करते हैं , हमने अपने श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग संवत् 2081 "एक राष्ट्र-एक पर्व रहस्य" विशेषांक के पृष्ठ संख्या -04 पर इसके मुख्यतः 7 कारण बताये हैं । दीपावली प्रकरण में मत बैभन्यता के मुख्यतः दो कारण हैं , पंचांगीय गणनाओं में सिद्धांत भेद तथा ऋषि(आचार्यों)के वाक्यों में एक रूपता का अभाव। 
                काशी के विद्वानों द्वारा अमर उजाला को दिये गये प्रेस नोट में यह कहा गया कि पश्चिम के पंचांग भ्रम फैला रहे हैं , यद्यपि उन्होंने भारत में प्रचलित सभी दृक् पक्षीय पंचांगों को ,पश्चिम के पंचांग कहा है जिनकी संखा लगभग 300 है , लेकिन यदि काशी के पंचांग भारतीय पद्धति के हैं तो उनमें सूर्य ग्रहण, चन्द्रग्रहण, ग्रहों के उदयास्त , दृक् पक्षीय ग्रह स्पष्ट आदि पश्चिमी पद्धति से क्यों दिये गये हैं ?
                    पर्वों के निर्णय देनें वाले काशी के विद्वानों के श्रीचरणों में निवेदन है कि भारतीय पद्धति से परिगणित विश्व पंचांग और हृषीकेश पंचांग में संवत्सर का नाम एक क्यों नहीं है ?तथा एक ही पद्धति से परिगणित एक ही अक्षांश-देशांतर पर काशी के पंचांगों में उदयास्त और तिथ्यादि मानों में एक वाक्यता क्यों नहीं है ?इस पर भी निर्णय देकर हम जैसे अनेकों ज्योतिष के विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन करने की कृपा करें ।
                     धर्म सिन्धु ने सभी मतों की मीमांसा करने के बाद अन्त में पुरुषार्थ चिन्तामणि के मत को निर्णय रुप में निर्देशित किया है यथा:-"पूरवत्रैव व्याप्तिरिति पक्षे परत्रयामत्याधिकव्यापिदर्शे दर्शापेक्षया प्रतिपदि वृद्धिसत्वे लक्ष्मीपूजनादिकमपि परत्रैवेत्युक्तम् " अर्थात् पहिले दिन प्रदोष में व्याप्ति हो और दूसरे दिन तीन प्रहर से अधिक अमावस्या हो (चाहे दूसरे दिन प्रदोष को व्याप्त न कर रही हो )तो पूर्व दिन की दर्श अमावस्या (प्रदोष व्यापिनी और निशीथ व्यापिनी अमावस्या )की अपेक्षा से प्रतिपदा की वृद्धि हो तो लक्ष्मीपूजन आदि भी दूसरे दिन ही करने चाहिए। 
अब इस शास्त्र निर्णय के अनुसार तो काशी के पंचांगों में भी 01नवम्बर को अमावस्या 03प्रहर से अधिक है तथा अन्य दृश्य पक्षीय पंचांगों में तो प्रदोष में व्याप्ति है ही अतः सौर और दृश्य सभी पंचांगों के अनुसार 01नवम्बर को ही दीपावली -लक्ष्मीपूजन शास्त्र सम्मत सिद्ध हुआ ।
इसे और स्पष्ट करते हुए धर्म सिन्धुकार कहते हैं -"एतन्मते उभयत्र प्रदोषव्याप्तिपक्षेपि परत्र दर्शस्य सार्धयामत्रयाधिकव्यापित्वात्परैव युक्तेति भाति "अर्थात्-इस मत में दोनों दिन प्रदोष व्याप्ति के पक्ष में भी दूसरे दिन अमावस्या भले ही प्रदोष में न हो परन्तु अमावस्या साढे तीन प्रहर से अधिक हो तो दूसरे दिन ही लक्ष्मीपूजन युक्त है यह प्रतीत होता है । अर्थात गौण प्रदोष काल में भी दूसरे दिन अमावस्या हो तो दीपावली दूसरे दिन ही शास्त्र सम्मत है । इसीलिए प्रो0प्रियव्रत शर्मा जी ने निर्णय दिया है कि अमावस्या दूसरे दिन प्रदोष काल को 01 मिनट तक भी स्पर्श करे तो पहिले दिन चतुर्दशी युक्ता अमावस्या को छोड़कर दूसरे दिन ही दीपावली मनाई जायेगी ।
               धर्म सिन्धुकार ने स्वाती नक्षत्र के संयोग को भी अति प्रशस्त बताया है जो कि 01 नवम्बर को ही है ।
             अतः सभी पक्षों पर बिचार करने के पश्चात् यह सिद्ध हुआ कि दीपावली (लक्ष्मीपूजन)के लिए 01 नवम्बर शुक्रवार की तिथि ही सर्वोत्तम , सर्वश्रेष्ठ , शास्त्र सम्मत और प्रशस्त है , भारत के 200 से अधिक पंचांगो में एक मत से 01 नवम्बर 2024 को ही दीपावली दी गई है ।
            अतः पूर्ण हर्षोल्लास के साथ 01 नवम्बर 2024 शुक्रवार को दीपावली का पर्व मनायें ।

निवेदक:-डाॅ.रमेश चन्द्र जोशी, ज्यौतिषाचार्य, पुराणेतिहासाचार्य, एम.संस्कृत, प्रधान सम्पादक, श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग, उत्तराखंड (भारत)सम्पर्क-9410167777.

शनिवार, 28 सितंबर 2024

श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग का भव्य विमोचन समारोह

समस्त धर्म प्रेमी सज्जनों के यह जानकर अतीव हर्ष होगा कि श्रीगिरिजा माता की करूण कृपा से श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग (११वें अंक) तथा श्रीताराप्रसाद दिव्य लघु पंचांग (२३वें अंक) संवत् २०८२ (सन् २०२५ -२०२६)कर्तव्याकर्तव्यरहस्य विशेषांक का विमोचन पूज्या माता जी श्रीमती भगवती जोशी जी व पूज्या माता जी श्रीमती तुलसी पन्त जी के कर कमलों से सम्पादक व प्रकाशक मण्डल के सदस्यों की उपस्थिति में शारदीय नवरात्रारम्भ( दिनांक ३अक्टूबर २०२४ )के पावन अवसर पर ,पंचांग की प्रथम प्रति श्री गिरिजामाता के श्रीचरणों में समर्पित करने के पश्चात, ज्योतिष भवन चित्रकूट-रामनगर , के प्रांगण में अपरान्ह ०२बजे किया जायेगा ।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंचांग के प्रमुख संरक्षक श्रीमदन सिंह बिष्ट जी (हल्द्वानी)करेंगे , कार्यक्रम में पंचांग के प्रमुख संरक्षक श्रीसंदीप मनराल जी (दिल्ली)तथा पंचांग के मुख्य संरक्षक श्री उमेश गोयल जी (रामनगर) विशिष्ट अतिथि होंगें । इसी दिन से पंचांग का वितरण प्रारम्भ किया जायेगा ।
 विशेष :- विमोचन समारोह का लाइव प्रसारण हमारे फेस बुक "आचार्य डाॅ.रमेश चन्द्र जोशी "पर किया जायेगा ।
निवेदक:-ज्यौतिषाचार्य (डाॅ)रमेश चन्द्र जोशी, प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग, रामनगर, नैनीताल, उत्तराखंड (भारत) सम्पर्क:-9410167777.

शनिवार, 21 सितंबर 2024

श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग संवत् 2082 शाके 1947 सन् 2025-26 , "कर्तव्या कर्तव्य रहस्य विशेषांक के प्रकाशन की शुभ सूचना

श्रीगिरिजामाता की अहैतुकी अनुकम्पा से आगामी संवत् के पंचांग को हम संवत्सर प्रतिपदा से छः माह पूर्व ही अपने सुधी पाठकों ,ज्योतिष व धर्म प्रेमी सज्जनों के कर कमलों तक पहुंचानें में सफल हो रहे हैं ।
                      आगामी संवत् 2082 के पंचांग में नित्यकर्म व सदाचार, घर में देव पूजा, आहार शुद्धि, शयन विधि, दान, तीर्थ सेवन, उपवास (व्रत) प्रणाम, गुरु का महत्व, गुरु कौन हो, क्या गुरु के बिना मुक्ति नही? सनातन धर्म में वैश्विक धर्म गुरु का अभाव, भारत औपचारिक स्वतन्त्र लेकिन मानसिक परतंत्र राष्ट्र, सनातन धर्म-गौ रक्षा तथा भारतीय राजनीति, व्यासपीठ एवं कथावाचक, जननाशौच-मरणाशौच, ,श्राद्ध , ज्योतिष-पंचांग एवं पर्वों पर पाठकों के सैकड़ों प्रश्नों के उत्तरों के साथ-साथ, मन्वादि ,युगादि तिथियाॅ,गुरु का द्वादश वर्षीय गोचर, सन् 2050 तक के सभी अधिक मासों का विवरण, सन् 2025 से 2034तक की गुरु -शुक्र अस्त सारणी, देवोत्थान के बाद कार्तिक में भी विवाह लग्न, गुरु-शुक्र में से किसी एक के उदय होने पर आपातकालीन विवाह लग्न आदि अश्रुत व अलोकित विषयों को संकलित किया गया है जो एक ज्योतिर्विद से लेकर सामान्य धर्म प्रेमी सज्जनों के लिए उपयोगी व संग्रहणीय होगा ऐसा मेरा विश्वास है । 
                 हमारा विचार है कि शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन 03 अक्टूबर 2024 को श्रीगिरिजामाता की मंगला आरती के साथ पंचांग की प्रथम प्रति श्रीमातारानी के श्रीचरणों में समर्पित करते हुए ,पंचांग का वितरण रामनगर, हल्द्वानी , अल्मोड़ा, पिथौरागढ, दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ और अन्य प्रमुख स्थानों पर एक साथ हो सके ।
           पंचांग विमोचन का ग्यारहवाॅ समारोह ज्योतिष -भवन,चित्रकूट, रामनगर (नैनीताल)उत्तराखंड, में दिनांक 03 अक्टूबर ,2024 को अपराह्न 02 बजे से परम्परागत रुप से किया जायेगा , जिसकी औपचारिक सूचना पृथक से प्रसारित की जायेगी । श्रीगिरिजामाता की जय ।
निवेदक:-ज्यौतिषाचार्य (डाॅ)रमेश चन्द्र जोशी, प्रधान सम्पादक, श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग, ज्योतिष भवन, चित्र कूट, रामनगर , नैनीताल, (उत्तराखंड)सम्पर्क:-9410167777.

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

श्री गायत्री जप-यज्ञ का २४वाॅ अनुष्ठान समारोह

समस्त धर्म प्रेमी सज्जनों को यह सूचित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि "श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग परिवार "के तत्वाधान में रामनगर क्षेत्र के सभी पूज्य विप्र जनों व भक्त जनों के सहयोग से विश्व कल्याण की मंगलमय कामना से सवालाख गायत्री मंत्र जप यज्ञ का २४वें वर्ष का अनुष्ठान श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग संवत् २०८० की पृष्ठ संख्या ४७-४८ में दिये गये विवरण के अनुसार दिनांक २५ व २६ दिसम्बर २०२३ को ज्योतिष -भवन, चित्रकूट, रामनगर के साधना कक्ष में किया जायेगा ।
धनार्क(पौष माह)को तपस्या का माह माना जाता है , ऐसी मान्यता है कि इस माह में ॠषि -मुनि गण हिमालयी क्षेत्र में आकर तपोलीन रहते हैं , इसलिए भी इस माह में भगवत्प्रीत्यर्थ किये गये जप,तप, व्रत व दानादि का विशेष महत्व है । अतः आप भी अपने क्षेत्र में सामूहिक रूप से भगवान्नाम जप यज्ञ का अनुष्ठान आयोजित कर विश्व कल्याण के हमारे इस प्रकल्प में जुड़कर पुण्यार्जन करें ।
निवेदक :-आचार्य (डाॅ)रमेश चन्द्र जोशी , प्रधान सम्पादक, श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग , ज्योतिष -भवन, चित्रकूट , रामनगर , नैनीताल, उत्तराखण्ड, भारत । सम्पर्क-9410167777 

रविवार, 8 अक्टूबर 2023

श्रीताराप्रसाद दिव्य लघु पंचांग का प्रकाशन

श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग परिवार के सभी सुधी पाठकों को हर्ष के साथ सूचित करना है कि श्रीतारा प्रसाद दिव्य लघु पंचांग संवत् 2081 ( 22वें अंक)का प्रकाशन हो गया है ।
इस पंचांग का विमोचन वृहद् पंचांग के साथ ही 15अक्टूबर 2023 को किया जायेगा ।
इस पंचांग में प्रतिवर्ष श्री मदन सिंह बिष्ट जी के सौजन्य से मानव जीवन को स्वस्थ बनाने वाली आयुर्वेद की चमत्कारिक जड़ी-बूटियों की जानकारी दी जाती है ।
        संवत्सर के संक्षिप्त फल , द्वादश राशियों का वार्षिक भविष्यफल, ग्रहण विवरण, संदिग्ध व्रत पर्वों का निर्णय,शुभ विवाह लग्नों की तिथियाॅ, आरोग्य के विशेष सूत्र तथा पक्षाचार में तारीख, गते, वार, तिथि-घण्टा,मिनट, नक्षत्र-घण्टा,मिनट, चन्द्र प्रवेश-घण्टा, मिनट के साथ -साथ सरल हिन्दी भाषा में ऋतु, मास , व्रत, पर्व, संक्रान्ति, जयन्ती, पंचक, भद्रा का समय भी भारतीय स्टैण्डर्ड समय (I ST) में होने से यह सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए उपयोगी है ।
    विगत 22 वर्षों से इसका प्रकाशन स्वनाम धन्य यशस्वी दानवीरों द्वारा किया जा रहा है, जिनकी सूची उपरोक्त है । इस वर्ष इस पंचांग के प्रकाशन का सहयोग, श्रीमती शान्ति पन्त जी पत्नी स्व.श्री तारादत्त पन्त जी, जिनका चित्र मुख पृष्ठ पर अंकित है, के द्वारा किया गया है । 
सभी सुधी पाठकों से निवेदन है कि उक्त सभी सज्जनों से प्रेरणा लेकर ज्योतिष के ज्ञान को घर -घर पहुॅचाने के हमारे इस अभियान में सहयोग देकर पुण्य व यश के भागी बनें । 
निवेदक:-आचार्य (डाॅ)रमेश चन्द्र जोशी, प्रधान सम्पादक,श्रीताराप्रसाद दिव्य पंचांग , ज्योतिष भवन, चित्रकूट-रामनगर, नैनीताल , उत्तराखण्ड (भारत)