बुधवार, 14 जुलाई 2021

"गुरु पूर्णिमा-व्यास पूजा की तिथि पर शास्त्रीय निर्णय"

 
समस्त धर्म प्रेमी सज्जनों को अवगत कराना है कि गुरु पूर्णिमा पर हमने उचित एवं शास्त्रीय निर्णय श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग संवत् 2078 के पृष्ठ संख्या 41 पर विस्तार से दिया है ,लेकिन दिल्ली,उत्तराखंड और पंजाब के कुछ पंचांगो में गुरु पूर्णिमा का पर्व 24 जुलाई को दर्शित होने से धर्म प्रेमी सज्जनों को संदेह होना स्वाभाविक है इस सम्बन्ध में मैंने उक्त सभी पंचांगकारो से सम्पर्क करने का प्रयास किया तो उनका कहना था कि हमने मध्यम मान से 2 घटी का एक मुहूर्त मान कर गणना करते हुए 24जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर्व अंकित कर दिया है ,लेकिन तिथि-पर्वों के निर्धारण में दिनमान का पन्द्रहवां भाग ही एक मुहूर्त का मान ग्राह्य है अतः उक्त स्थानों के पंचांगो में दर्शित 24 जुलाई की तिथि शास्त्रोचित नहीं है । जहाँ तक वनारस के पंचांगों में 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा दर्शित होने की बात है वह उचित है क्योंकि वनारस में 24 जुलाई को पूर्णिमा का मान 3 मुहूर्त से अधिक है । धर्म सिन्धु ,निर्णय सिन्धु आदि निबन्ध ग्रन्थों में इसे त्रिमुहूर्त व्यापिनी-उदय व्यापिनी पूर्णिमा में मनाने का विधान निर्दिष्ट है ,उदय व्यापिनी पूर्णिमा तीन मुहूर्त से कम होने पर इसे पूर्व दिन चतुर्दशी विद्धा पूर्णिमा में मनाने का शास्त्रादेश है ,यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि कुर्मांचलीय पंचांगो में इस पर कुछ भी मतभेद नहीं है । दिनांक 24 जुलाई 2021 पूर्णिमा का मान खगोल विज्ञान केन्द्र कोलकाता द्वारा प्रकाशित "राष्ट्रीय पंचांग "के अनुसार प्रातः 0 8:07(भा.स्टै. टा.)बजे सर्व स्वीकृत है ।

  " भारत वर्ष में गुरु पूर्णिमा तिथि का निर्णय "
01-उत्तराखण्ड,पश्चिमी उत्तर प्रदेश (काशी आदि कुछ पूर्वी शहरों को छोड़कर)जम्मू-कश्मीर,हिमाचलप्रदेश,पंजाब,हरियाणा, दिल्ली,राजस्थान,गुजरात,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र,आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक,तमिलनाडु में 24जुलाई को उदय व्यापिनी पूर्णिमा का मान तीन मुहूर्त से कम होने के कारण गुरू पूर्णिमा 23 जुलाई 2021 को मनाया जाना शास्त्र सम्मत है ।

02-उत्तर प्रदेश के वनारस आदि कुछ पूर्वी शहरों में,
विहार,पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में 24 जुलाई को उदय व्यापिनी पूर्णिमा तीन मुहूर्त से अधिक होने के कारण इन स्थानों में गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई 2021 को मनाया जाना शास्त्र सम्मत है ।
                      "विदेशों में गुरु पूर्णिमा निर्णय"
01-दुबई,कनाडा,कैलिफोर्निया,अमेरिका,इंग्लैंड,नाइजीरिया , मारीशस,जर्मनी,फ्रान्स,पाकिस्तान,श्रीलंका में 24जुलाई को उदय व्यापिनी पूर्णिमा तीन मुहूर्त से कम या बिल्कुल भी नहीं होने से इन देशों में गुरु पूर्णिमा का पर्व 23 जुलाई 2021 को ही मनाया जायेगा ।
02-इण्डोनेशिया,बांग्लादेश,सिंगापुर,आस्ट्रेलिया,जापान,और नेपाल में 24 जुलाई को उदय व्यापिनी पूर्णिमा तीन मुहूर्त से अधिक होने के कारण इन देशों में गुरु पूर्णिमा का पर्व 24जुलाई 2021 को मनाया जायेगा ।
                  मुझे आशा है कि इस निर्णय से देश -विदेश के सभी धर्म प्रेमी सज्जनों की सभी आशंकाओं का पूर्ण समाधान हो जायेगा और सभी गुरु पूर्णिमा पर्व को पूर्ण हर्षोल्लास से मनायेंगे । 
                 गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें। 
प्रस्तुति:-आचार्य (डॉ)रमेश चन्द्र जोशी प्रधान सम्पादक, श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग,ज्योतिष भवन- चित्रकूट ,रामनगर,नैनीताल (उत्तराखंड) पिन 244715 ,
दूरध्वनि -9410167777

गुरुवार, 1 जुलाई 2021

श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग आगामी वर्ष की एक झलक

श्रीगिरिजा माता की अहैतुकी अनुकम्पा से आगामी संवत् 2079 शाके 1944 सन् 2022-23 के श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग को "तिथि-व्रत-पर्व निर्णय "विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है । 
                  मैंने अपने जीवन में तिथि -पर्व-व्रतों में मतान्तर होने पर धर्म प्रेमी सज्जनों को उससे होने वाली कठिनाइयों को अति निकट से देखा है ,साथ ही मतान्तर होने पर विद्वानों के वाद -प्रतिवाद पर भी बहुत मन्थन व चिन्तन करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि पंचांगो के प्रकाशन से पूर्व ही सभी प्रकार के पर्वों में एक रूपता स्थापित हो जाय और धर्म प्रेमी सज्जनों को कोई असुविधा न हो । इसके लिए अथक प्रयास करने पर उत्तराखंड के पंचागकारों से किसी भी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिल पाया ।
              तिथि-व्रत-पर्वों का निर्धारण वशिष्ठ,नारद,कश्यप आदि महर्षियों द्वारा स्कन्द,विष्णु,कूर्म,पद्म आदि पुराणों में वर्णित अनेकानेक निर्णयों पर आधारित है जिसे कालमधव,निर्णय सिन्धु ,धर्म सिन्धु,पुरुषार्थ चिन्तामणि,तिथि निर्णय,वर्ष कृत्यदीपक,व्रत परिचय आदि निबन्ध ग्रन्थों के रचयिता मीमांसकों ने संकलित करने का गुरूत्तम प्रयास किया है लेकिन इन ग्रन्थों में भी एक ही पर्व पर कई निर्णय दिये हैं जिससे दुविधा का पूर्ण निराकरण नहीं हो पाता है यही कारण है कि अनेक पंचांगो में भी पर्वों में अन्तर रहता है ।
                        मैंने प्राचीन निबन्ध ग्रन्थों से लेकर इस परम्परा में नवीनतम रचना व्रत पर्व विवेक तक गम्भीर परिशीलन कर सभी मतान्तरों को यथा शक्ति निरस्त करने का प्रयास किया है । एतदर्थ मैंने संवत्सर अपैट ,विषुवत् संक्रांति अपैट ,विषुवत् संक्रांति वामपाद, एकोदिष्ट -पार्वण श्राद्ध तिथि निर्णय,संक्रांति पुण्य काल निर्धारण एवं सम्पूर्ण वर्ष भर के सभी पर्वों निर्णयों के लिए तर्क,समन्वय,बहुमत व उत्तराखण्ड के पूर्वाचार्यों के मतों का आश्रय लिया है ।
                   तिथि-व्रत-पर्वों के उलझे विवादास्पद मूल तत्वों को अनेक मत मतान्तरों के खण्डन-मण्डन के विस्तृत प्रपञ्च से बाहर निकाल कर मैंने अत्यन्त सरल बालबोध शैली में बहुत ही संक्षेप में पाठकों के समक्ष रखने का प्रयास किया है । मुझे विश्वास है कि इन्हें आद्योपांत पढ़ लेने पर सामान्य व्यक्ति भी तिथि-व्रत-पर्वादि के निर्णय लेने में सक्षम हो जायेंगे और तिथि-पर्वों में एकरूपता आयेगी ।
                       उपर्युक्त तथ्यों से आप समझ ही गये होंगे कि यह विशेषांक जन -जन के लिए अत्यंत ही उपयोगी एवं संग्रहणीय है । हम सभी पूज्य आचार्यों,पुरोहित वर्ग और ज्योतिष प्रेमी यजमानों से अनुरोध करते हैं कि संवत् 2078 की भाॅति आगामी संवत् 2079 के इस विशेषांक को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमसे कम से कम 10 प्रतियाँ डाक द्वारा मंगाकर वितरित करने का संकल्प लेकर ज्योतिष की इस महाक्रान्ति में सहभागी बनें । 
                पंचांग अभी प्रकाशन की प्रक्रिया में है पंचांग प्रकाशित हो जाने पर पंचांग के विमोचन व उपलब्धता की सूचना आपको पृथक से प्रदान की जायेगी ।
        विशेष भगवत्कृपा । श्रीकृष्णस्मृति । 
           "श्रीगिरिजा माता की जय "
निवेदक:-आचार्य (डॉ)रमेश चन्द्र जोशी,प्रधान सम्पादक, श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग ,ज्योतिष भवन-चित्रकूट-रामनगर-नैनीताल-उत्तराखण्ड ।
सम्पर्क:-9410167777