होली का पावन पर्व सम्पूर्ण भारत वर्ष में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है इसकी महत्व पूर्ण तिथियों के बारे में कुछ आवश्यक जानकारी निम्न प्रकार है :
01-होलाष्टक:- फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से फाल्गुन पूर्ण मासी तक आठ दिन तक होलाष्टक दोष रहता है इन दिनों में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य-विवाह,उपनयन,गृहारम्भ,गृहप्रवेश आदि वर्जित किये गये हैं । इस वर्ष होलाष्टक दोष 22 मार्च से 28मार्च 2021 तक रहेगा ।
02-चीर बन्धन -ध्वजारोपण एवं रंग धारण:-प्रायः यह आमलकी एकादशी के दिन किया जाता है । यदि आमलकी एकादशी व्रत वाले दिन एकादशी तिथि भद्रा से व्याप्त हो तो
चीरबन्धन व रंगधारण पूर्व दिन एकादशी तिथि के प्रारम्भ होने पर किया जाता है इस वर्ष ऐसी ही स्थिति है । दिनांक 25 मार्च को एकादशी भद्रा से व्याप्त होने के कारण चीर बन्धन,ध्वजारोपण व रंगधारण 24मार्च 2021 को दशमी तिथि की समाप्ति व एकादशी तिथि के प्रारम्भ होने पर पूर्वाह्न 10:24 बजे के बाद किया जायेगा ।
03-आमलकी एकादशी व्रत:-आमलकी एकादशी का व्रत एवं आॅवला के वृक्ष का पूजन 25 मार्च 2021 को किया जायेगा ।
04- होलिका दहन:-दिनांक 28 मार्च 2021 को सम्पूर्ण प्रदोष काल भद्रा रहित है अतः इस दिन सायं 6बजकर 26 मिनट से रात्रि 8 बजकर 47 मिनट के मध्य प्रदोष काल में होलिका दहन किया जायेगा ।
क्या करें होलिका दहन के समय - होलिका दहन स्थल पर जाकर विधिवत् होलिका का पूजन करें । सपरिवार घी लगा हुआ एक पान का पत्ता लेकर उसमें जायफल ,कपूर,लौंग,इलायची और गोला रखकर अग्नि को अर्पित करें और" ॐनमो भगवते वासुदेवाय "मंत्र का जाप करते हुए अग्नि की तीन परिक्रमा करें तथा मन ही मन अपने कष्ट निवारण के लिए प्रार्थना करते हुए अग्नि भगवान को प्रणाम करें ।
सावधानियाँ- गर्भवती महिलाएं व नव विवाहिता वधुयें होलिका दहन न देखें ।
आवश्यक:- होलिका दहन के दिन को नाच गाने एवं मनोरंजन तक ही सीमित न रखें यह दिन बहुत ही आध्यात्मिक लाभ प्रदान करने वाला है अतः इस दिन पूर्ण सात्विक रहकर भगवान नाम का जाप करें इस दिन जिस मंत्र का जाप किया जाता है वह मंत्र चैतन्य होकर सिद्ध हो जाता है ।
होलिका दहन की भस्म :-दूसरे दिन अर्थात् छरड़ी के दिन होलिका की भस्म ग्रहण करनी चाहिए तथा भस्म को प्रणाम करके इसका टीका लगायें । इस भस्म को एक डिब्बे में भरकर रखें और साल भर उपयोग में लायें,विशेषकर बच्चों को हवा, छल और नजर लगने पर इसका टीका लगाना लाभदायक है ।
पूर्ण मासी-सत्यनारायण व्रत निर्णय:- उत्तराखंड के कुछ स्थानों में परम्परा -अनुसार प्रत्येक मास की पूर्णिमा को किये जाने वाले सत्यनारायण व्रत को होलिकादहन के दिन नहीं करते ऐसी स्थानीय परम्परा है लेकिन देश के अधिकांश स्थानों पर श्रद्धालु जन अपनी आध्यात्मिक चेतना की जागृति के लिए होलिकादहन के दिन व्रत पूर्ण भक्ति भाव से करते हैं और भोजन होलिका दहन के बाद करते हैं ।
05-होली -छरड़ी-धुलैण्डी अथवा वसन्तोत्सव:- यह पर्व उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है इस दिन सभी आपस में मिल -जुलकर रंग खेलते हैं यह प्रातः काल से मध्यान्ह 12बजे तक रहता है तदुपरान्त सभी आपस में गले मिलकर इस कार्यक्रम का समापन करते हैं ।
सभी देश वासियों से हमारा निवेदन है कि पूूर्ण सात्विक रहकर होली के पावन पर्व को मनायें । होली में किसी भी दशा में नशे व रसायनिक रंगों का उपयोग न करें ।
"आप सभी को होली के पावन पर्व की अनन्त हार्दिक शुभकामनायें "
निवेदक :-आचार्य (डॉ)रमेश चन्द्र जोशी प्रधान सम्पादक श्रीताराप्रसाददिव्य पंचांग,ज्योतिष भवन,चित्रकूट,रामनगर,नैनीताल (उत्तराखंड) सम्पर्क-9410167777